Thursday, February 2, 2012

Shor.....!!!

गाती हुई  कोयल  न  कोई  मोर मिलेगा,
शहरों में मशीनों का फ़क़त शोर मिलेगा.

आसान नहीं है  तेरा  उस पार पहुँचना,
 मँझधार में तूफाँ का बड़ा ज़ोर मिलेगा.

ऐसे  ही  निगाहों  को   झुकाया  नहीं  करते,
जब दिल को टटोलोगे तो इक चोर मिलेगा.

बैठे  से  तो दुख-दर्द  कभी ख़त्म न होंगे,
 हिम्मत जो रखोगे तो कहीं छोर मिलेगा.

 तपते हुए सहराओं में क्या पाओगे ‘अनवर’,
 पानी   तो   मेरे   यार   कहीं   और   मिलेगा.

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